दोस्तों, आजकल हर कोई पर्यावरण की बात करता है, और सड़कों पर हरी-भरी गाड़ियाँ देखकर मन खुश हो जाता है। लेकिन भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने की राह इतनी आसान नहीं है। बैटरी वाली गाड़ियाँ भविष्य हैं, लेकिन अभी की बात करें तो हाइब्रिड वाहन एक अच्छा पुल बन सकते हैं। आइए, इस ब्लॉग में देखते हैं कि ईवी और हाइब्रिड की क्या स्थिति है, चुनौतियाँ क्या हैं, और आगे की राह कैसी दिखती है।
ईवी और हाइब्रिड अपनाने की मौजूदा स्थिति
भारत में ईवी बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन मुख्य रूप से दो-पहिया (ई-2डब्ल्यू) और तीन-पहिया (ई-3डब्ल्यू) वाहनों में। FY24 में ई-2डब्ल्यू की बिक्री करीब 9.44 लाख यूनिट्स थी, जबकि ई-3डब्ल्यू की 6.32 लाख। लेकिन चार-पहिया ईवी (ई-4डब्ल्यू) की बिक्री सिर्फ 1 लाख से कम रही, जो कुल 4डब्ल्यू बाजार का केवल 2% है। अप्रैल-जून 2024 में हाइब्रिड वाहनों की बिक्री 75,000 यूनिट्स के करीब थी, जबकि शुद्ध ईवी 4डब्ल्यू की सिर्फ 20,000।
मुख्य बिंदु: उपभोक्ता हाइब्रिड को पसंद कर रहे हैं क्योंकि ये रेंज की चिंता कम करते हैं और ईंधन कुशल हैं। एक डेलॉयट अध्ययन के मुताबिक, 21% लोग हाइब्रिड चुनते हैं बनाम 8% ईवी।
नीचे एक तालिका में बिक्री की तुलना:
वाहन प्रकार | FY24 बिक्री (लाख यूनिट्स) | बाजार हिस्सा (%) |
---|---|---|
ई-2डब्ल्यू | 9.44 | 60+ |
ई-3डब्ल्यू | 6.32 | 35+ |
ई-4डब्ल्यू | <1 | 2 |
हाइब्रिड (4डब्ल्यू) | ~1 (कुल) | बढ़ता हुआ |
हाइब्रिड की रणनीतिक भूमिका: पुल या बाधा?

हाइब्रिड वाहन आईसीई इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर को मिलाकर चलते हैं, जो ईवी की बैटरी और चार्जिंग की सीमाओं को दूर करते हैं। मुख्य फायदे:
- रेंज की चिंता कम: लंबी यात्राओं के लिए बेहतर।
- कम उत्सर्जन: HSBC रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कोयला-आधारित ग्रिड में हाइब्रिड का कुल कार्बन उत्सर्जन (133 ग्राम/किमी) ईवी (158 ग्राम/किमी) से कम है। यह डीजल से 34% और पेट्रोल से 25% कम है।
- ग्रिड पर कम बोझ: ईवी अपनाने से ग्रिड पर दबाव बढ़ेगा, जो हाइब्रिड से कम होता है।
लेकिन IIT रुड़की और ICCT अध्ययन कहता है कि ईवी पेट्रोल कारों से 38% कम उत्सर्जन करते हैं, भले ग्रिड कैसा हो। वे चेतावनी देते हैं कि ईवी अपनाने में देरी से आईसीई वाहन लंबे समय तक उत्सर्जन करेंगे, जबकि ईवी ग्रिड के साफ होने से बेहतर होते जाएंगे।
तो, बहस है: हाइब्रिड एक पुल है जो ईवी की राह आसान बनाएगा, या ये ईवी की ग्रोथ रोकेंगे? HSBC कहता है कि ईवी-हाइब्रिड उत्सर्जन 7-10 साल में बराबर होंगे, जब गैर-जीवाश्म ऊर्जा 44% हो जाएगी (अभी 26%)।
ईवी और हाइब्रिड अपनाने की चुनौतियाँ

ईवी बाजार बढ़ रहा है, लेकिन कई बाधाएँ हैं:
- उच्च शुरूआती लागत: ईवी आईसीई से महंगे हैं, हालांकि रनिंग कॉस्ट कम।
- चार्जिंग इंफ्रा की कमी: अप्रैल 2025 तक सिर्फ 25,000 पब्लिक चार्जर हैं। 2040 तक 19 लाख की जरूरत है, साथ में 2.75 लाख बैटरी स्वैपिंग स्टेशन।
- ग्रिड की तैयारी: ईवी से बिजली की मांग बढ़ेगी, लेकिन ग्रिड में पारदर्शिता और अपग्रेड की कमी है।
- हाइब्रिड पर उच्च कर: ईवी पर 5% GST, जबकि हाइब्रिड पर 28% + सेस (~43-48%)। इससे हाइब्रिड महंगे हो जाते हैं।
- बैटरी आयात निर्भरता: भारत में ईवी बैटरी नहीं बनती, ज्यादातर चीन से आती हैं।
DISCOMs (बिजली वितरण कंपनियाँ) EV इंफ्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं:
- ग्रिड अपग्रेड और स्मार्ट मीटर लगाना।
- ऑफ-पीक चार्जिंग के लिए टाइम-ऑफ-डे टैरिफ।
- CPOs के लिए पारदर्शी कनेक्शन प्रक्रिया।
सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन
सरकार ईवी को बढ़ावा दे रही है:
- FAME-II: मार्च 2024 में खत्म, लेकिन EMPS 2024 से जारी। ई-2डब्ल्यू पर Rs 10,000 तक सब्सिडी, ई-3डब्ल्यू पर Rs 50,000 तक।
- EMPS 2024: अप्रैल से शुरू, Rs 500 करोड़ बजट, मुख्य रूप से 2W/3W पर फोकस।
- AUTO PLI: 4W और बसों के लिए घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन।
- राज्य-स्तरीय नीतियाँ: हर राज्य में ईवी सब्सिडी, दिल्ली ने नीति बढ़ाई।
- DISCOMs की भूमिका: ग्रिड प्लानिंग, स्मार्ट चार्जर और डिमांड रिस्पॉन्स प्रोग्राम।
भविष्य की संभावनाएँ और सिफारिशें

भारत को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए: हाइब्रिड को पुल के रूप में इस्तेमाल करें, लेकिन ईवी पर फोकस रखें। सिफारिशें:
- हाइब्रिड पर GST कम करें ताकि TCO पेट्रोल से करीब आए।
- ग्रिड डीकार्बोनाइजेशन तेज करें।
- OBFCM (ऑन-बोर्ड फ्यूल मीटर) से रियल-वर्ल्ड डेटा इकट्ठा करें।
- DISCOMs, OEMs और CPOs के बीच सहयोग बढ़ाएँ।
अगर बैटरी टेक और इंफ्रा सुधरे, तो ईवी लंबे समय में उत्सर्जन कम करेंगे।
निष्कर्ष: क्या आप ईवी या हाइब्रिड चुनेंगे?
भारत की हरित गतिशीलता की यात्रा रोमांचक है, लेकिन चुनौतियाँ भरी। हाइब्रिड अभी एक व्यावहारिक विकल्प हैं, जबकि ईवी भविष्य। क्या आप ईवी अपनाने को तैयार हैं, या हाइब्रिड से शुरू करेंगे? कमेंट में बताएं, और क्या लगता है – क्या सरकार हाइब्रिड पर टैक्स कम करेगी? अपनी राय शेयर करें!
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.